आभूषण की बात करें तो महिलाओ को एक से बढ़कर एक आभूषण पहनना पसंद होता है। तो वहीं, महिलाएं आभूषण का नाम सुनते ही खुश भी हो जाती है। वहीं, किसी भी महिला को अगर गिफ्ट में कोई भी आभूषण दिया जाए तो वह खुश हो जाती है। जहां बीते हुए कुछ समय में फैशन ज्वेलरी का प्रचलन भी काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसी के साथ कई ऐसे प्राचीन आर्ट फॉर्म हैं जो फैशनेबल हो चुके हैं। जो अपने यूनिक डिजाइन और स्टाइल के कारण यह बहुत लोकप्रिय भी माने जाते है।
धागों का बनाया जाता जाल
हालांकि, भारतीय आभूषणों के बारें में देखा जाए तो फिलीग्री ज्वेलरी सबसे आकर्षक फॉर्म्स में से एक मानी जाती हैं। तो आज हम बताने जा रहे है फिलीग्री आभूषण के बारे में जो चांदी और सोने के थ्रेड्स से इस ज्वेलरी को तैयार किया जाता है। बता दें कि इन्हें लेस में एक-दूसरे के साथ जोड़कर धागों का जाल बनाया जाता है।
इसमें इस्तेमाल करते थे ज्यादातर लोग
जानकारी के लिए बता दें कि गहनों की दुनिया में फिलीग्री का मतलब बहुत ही अलग मतलब होता है। जहां एक अलंकरण, जिसमें एक नाजुक, लचीला, महीन, कीमती धातु के धागे का उपयोग प्लैटिनम या पैलेडियम के साथ होता है। जिसे विशिष्ट डिजाइन में घुमाकर तैयार किया जाता हैं और फिर गहनों से जोड़ दिया जाता है । बता दे कि एंटीक ज्वेलरी बिजनेस सन् 1920 से लेकर 1935 के बीच फिलीग्री को ज्यादातर आर्ट डेकोरेशन में इस्तेमाल लोग करते थे। जहां मेटल्स को ज्वेलरी में डाई-कास्ट किया जाता है और एक यूनिक और सुंदर डिजाइन तैयार किया जाता था।
इन राज्यों में काफी प्रचलित
आपको मालूम हो कि भारत में ओडिशा राज्य के कटक शहर के लोग इस कला को बनाने में प्रमुख रूप से शामिल होते हैं। क्योंकि कटक शहर में सौ से अधिक परिवार फिलीग्री ज्वेलरी के विभिन्न पैटर्न बनाने में पूरी तरह से मास्टर हैं। जहां इसे स्थानीय लोग ‘कट्टाकी तारकासी’ के नाम से जानते और यह बहुत लोकप्रिय भी है। वहीं, अपने जटिल डिजाइन और शानदार कलात्मक पैटर्न के लिए ओडिशा की फिलीग्री ज्वेलरी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध मानी जाती है। दरअसल, यह ज्वेलरी ओडिशा के साथ-साथ यह आंध्र प्रदेश और वेस्ट बंगाल में भी काफी लोकप्रिय मानी जाती है।